Thursday, 16 May 2013

नारी,,,,,,कल और आज

यूँ तो रामायण के सभी चरित्र विचित्र से दिखाई पड़ते है.......
आज के जीवन मे इन सभी चरित्रो की कितनी सार्थकता हैं, पता नही...........

लेकिन एक चरित्र है, जो आज के युग की आधी जनसंख्या का........
शर्म से सिर झुकाए हुए नेतृत्व कर रहा है.....

जी हाँ, वो हमारी अबला सीता माता ही हैं|

त्रेता युग के यानी रामायण के समय से, सिर्फ़ सीता के लिए ही लक्ष्मण रेखा खींची जा रही हैं......
मैं पूछता हूँ, रावण के लिए क्यू नही खींचता कोई लक्ष्मण मर्यादा की रेखा.........

मैं मर्यादाओ या परम्पारओ का विरोधी नही हूँ, मैं तो सिर्फ़ मर्यादाओ मे निष्पक्षता का समर्थक हूँ|

शूर्पणखा के नाक कान काटने पर अपहरण भी सीता का होता है..........
मैं जान ना चाहता हूँ राम लक्ष्मण का क्यूँ नहीं........

14 वर्ष के वनवास के बाद यदि सीता के चरित्र की अग्नि परीक्षा हुई थी..........
तो राम के चरित्र की अग्नि परीक्षा भी होनी चाहिए थी........

सीता के चरित्र की परीक्षा लेन के बाद ग्रंथ का नाम राम चरित्र मानस क्यूँ रखा...........
ये तो कोई विद्वान ही बता सकता हैं|

चलता हूँ राम राम, आप भी चलते रहिए ले कर राम का नाम|

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