गौरव का गौरव अपने लिए लड़ रहा हैं.........
किसी और से नहीं गौरव से ही लड़ रहा हैं.......
मेरी ख़ासीयते मेरी खामियो से लड़ रही हैं......
मानो कुरुछेत्र बन गया हो मन मेरा............
अर्जुन की भाँति धनुष बाँड छोड़ रखे हैं साहस ने मेरे.........निष्क्रियता रूपी भीष्म पितमाह के आंगे|
बुरी हैं तो क्या हुआ........ खामियाँ भी तो मेरी अपनी ही हैं|
कैसे चलाऊ मैं ये धनुष बाँड अपनी ही इन आदतो पर'...........
फिर उंगली दिखा कर पास बुला कर गीता के कृष्णा ने मुझे समझाया........
क्या करोगे जब खा जाएँगी ख़ामिया तुम्हारी अपनी ही ख़ासियतो को...........
वो नहीं देखेंगी अपना और पराया, लहरा देंगी अपनी विजय का ध्वज तुम्हारे मन पर........
क्या सह पाओगे, उस झंडे द्वारा किए हुए गहरे घाव को मन अपने पर..........
बस ये ही सुन कर उठ खड़ा हुआ हैं, ये गौरव अपने ही गौरव के लिए लड़ने को...........
लड़ना पड़े चाहे, अब गौरव से ही क्यूँ ना, लेकिन ये युध तो अब लडूँगा मैं.........
जीते कोई भी पर युध से पहले धनुष नहीं, छोड़ूँगा अब मैं........
चलिए चलता हूँ, अपना युध लड़ने.....आप भी अपना युध जारी रखिए...|
किसी और से नहीं गौरव से ही लड़ रहा हैं.......
मेरी ख़ासीयते मेरी खामियो से लड़ रही हैं......
मानो कुरुछेत्र बन गया हो मन मेरा............
अर्जुन की भाँति धनुष बाँड छोड़ रखे हैं साहस ने मेरे.........निष्क्रियता रूपी भीष्म पितमाह के आंगे|
बुरी हैं तो क्या हुआ........ खामियाँ भी तो मेरी अपनी ही हैं|
कैसे चलाऊ मैं ये धनुष बाँड अपनी ही इन आदतो पर'...........
फिर उंगली दिखा कर पास बुला कर गीता के कृष्णा ने मुझे समझाया........
क्या करोगे जब खा जाएँगी ख़ामिया तुम्हारी अपनी ही ख़ासियतो को...........
वो नहीं देखेंगी अपना और पराया, लहरा देंगी अपनी विजय का ध्वज तुम्हारे मन पर........
क्या सह पाओगे, उस झंडे द्वारा किए हुए गहरे घाव को मन अपने पर..........
बस ये ही सुन कर उठ खड़ा हुआ हैं, ये गौरव अपने ही गौरव के लिए लड़ने को...........
लड़ना पड़े चाहे, अब गौरव से ही क्यूँ ना, लेकिन ये युध तो अब लडूँगा मैं.........
जीते कोई भी पर युध से पहले धनुष नहीं, छोड़ूँगा अब मैं........
चलिए चलता हूँ, अपना युध लड़ने.....आप भी अपना युध जारी रखिए...|
mast hai bhai gud...
ReplyDeletethanks yaar...........
ReplyDeletepehli baar kisi ne tarif ki hai